लोकतंत्र सवेरा : झारखंड राज्य के गठन के बाद लगभग 2 दशक तक भाजपा का गढ़ माना जाने वाला पूर्वी विधानसभा पर 2019 से संकट के बादल मंडरा रहे हैं. इस मिथक को टिकट न मिलने से नाराज को निर्दलीय विधायक सरयू राय ने 2019 के विधानसभा चुनाव में उस वक्त के मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ चुनाव मैदान में उतर गए. और रघुवर दास को हराकर सरयू राय जीत गए. तभी से इस विधानसभा सीट पर जो भाजपा का गढ़ माना जाता है. उसपर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।
ठीक उसकी तरह इस बार विधानसभा चुनाव में पूर्वी विधानसभा सीट से भाजपा के कई उम्मीदवार मैदान में थे. लेकिन किसी को टिकट हाथ नहीं लगा और अंततः झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में ओड़िशा के राज्यपाल रघुवर दास की बहु पूर्णिमा साहू को पूर्वी विधानसभा सीट से भाजपा का उम्मीदवार बना दिया गया. जिसके बाद टिकट के दावेदार माने जा रहे शिव शंकर सिंह ने भाजपा से बगावत कर निर्दलीय मैदान में कूद गए और परिवारवाद का आरोप लगाने लगे।
डॉक्टर अजय कुमार पूर्वी विधानसभा में कर पायेंगे उलटफेर….??
दूसरी तरफ पूर्व आईपीएस और जमशेदपुर के पूर्व सांसद रह चुके डॉक्टर अजय कुमार भी कांग्रेस के बैनर तले पूर्वी विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में है. डॉक्टर अजय कुमार एक तो जमशेदपुर के चर्चित आईपीएस रह चुके हैं. और एक बार जमशेदपुर संसदीय क्षेत्र की जनता ने उन्हें सांसद बनने का भी अवसर प्रदान किया था. लेकिन उसके बाद वह मोदी लहर में विद्युत वरण महतो से हार गए. और इस बार वह पूर्वी विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में हैं।
बन रहा है फिर निर्दलीय संयोग…???
निर्दलीय प्रत्याशी शिव शंकर सिंह को मैदान में उतरने से आप माने या न माने मामला पूरा त्रिकोणीय हो गया है. साल 2019 के विधानसभा चुनाव में जहां लड़ाई भाजपा और निर्दलीय में थी. लेकिन इस बार मुकाबला शिव शंकर सिंह के वजह से त्रिकोणीय हो गया है. खैर अब पिटारा खुलने में महज कुछ ही घंटों का समय बच गया है. वही प्रत्याशियों की धुकधुकी भी बढ़ गई है।