रांची/नेमरा : झारखंड की राजनीति के पितामह, जनजातीय समाज की अमिट आवाज और झारखंड आंदोलन के पुरोधा दिशोम गुरु शिबू सोरेन को उनके पैतृक गांव नेमरा में पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। हजारों की संख्या में लोग इस महान जननायक को अंतिम बार श्रद्धांजलि देने के लिए उमड़े। जनसैलाब इतना विशाल था कि सड़कें जाम हो गईं और कई नेता व विशिष्ट अतिथि अंतिम यात्रा में समय पर शामिल होने के लिए पैदल और दोपहिया वाहनों का सहारा लेते देखे गए।
इसी क्रम में पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा तथा आजसू पार्टी के सुप्रीमो सुदेश महतो भी गुरुजी को अंतिम विदाई देने के लिए नेमरा रवाना हुए थे। लेकिन रास्ते में जैसे-जैसे नेमरा की दूरी कम होती गई, भारी जाम ने उनका रास्ता रोक दिया। काफिले के वाहन जाम में फंस गए और चारों ओर वाहन, लोग और भीड़ का सैलाब फैल गया। समय की नजाकत को समझते हुए दोनों नेताओं ने बिना देर किए अपने वाहन वहीं छोड़ दिए और मोटरसाइकिल की मदद से करीब सात किलोमीटर का रास्ता तय कर अंतिम यात्रा स्थल पहुंचे।
बाइक से पहुंचने के दौरान रास्ते भर सड़क के दोनों ओर गुरुजी के समर्थकों और अनुयायियों की भीड़ लगी थी, जो हाथों में फूल लिए भावुक होकर अपने नेता को अंतिम विदाई दे रहे थे।
अर्जुन मुंडा ने इस अवसर पर कहा कि शिबू सोरेन केवल एक राजनेता नहीं, बल्कि एक विचारधारा थे। उन्होंने झारखंड की आत्मा को आवाज दी और जनजातीय समाज को सम्मान और अधिकार दिलाने के लिए जो संघर्ष किया, वह आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा बनेगा। उन्होंने कहा कि आज हम सबने एक युगपुरुष को खो दिया है, जिनका स्थान कोई नहीं भर सकता।
वहीं सुदेश महतो ने कहा कि गुरुजी का जीवन सादगी, संघर्ष और समर्पण का प्रतीक रहा है। वे झारखंड की आत्मा थे। आज उनका जाना पूरे राज्य के लिए अपूरणीय क्षति है। हम सबको मिलकर उनके अधूरे सपनों को पूरा करना होगा, यही उनकी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
गुरुजी के अंतिम दर्शन के लिए आम जन से लेकर जनप्रतिनिधि, सामाजिक कार्यकर्ता और आंदोलन के पुराने साथी बड़ी संख्या में नेमरा पहुंचे थे।
प्रशासन के लिए यह आयोजन एक बड़ी चुनौती रहा। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस बलों की तैनाती की गई थी, लेकिन जनसैलाब इतना बड़ा था कि जाम की स्थिति से निपटना मुश्किल होता गया। कई स्थानों पर लोग अपने वाहनों को छोड़कर पैदल ही अंतिम स्थल तक पहुंचे। हालांकि भारी भीड़ के बावजूद कार्यक्रम शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुआ।
दिशोम गुरु शिबू सोरेन का निधन झारखंड की राजनीति में एक युग का अंत है। उनका योगदान केवल राज्य निर्माण तक सीमित नहीं रहा, बल्कि उन्होंने सदियों से उपेक्षित जनजातीय समाज को अधिकार, पहचान और गरिमा दिलाने का जो कार्य किया, वह इतिहास के पन्नों में हमेशा स्वर्ण अक्षरों में दर्ज रहेगा।
नेमरा गांव की उस मिट्टी में जब गुरुजी पंचतत्व में विलीन हुए, तो वहां उपस्थित हर आंख नम थी, लेकिन गर्व से भरी हुई भी, कि उन्होंने ऐसे महामानव को जन्म दिया जिसने एक पूरे राज्य को दिशा दी।
