लोकसभा चुनाव के बाद विधानसभा चुनाव में भी सीता सोरेन को करारी हार झेलनी पड़ी। सीता सोरेन की इस हार के बार कयास लग रहे है कि कहीं अब सीता सोरेन का राजनीतिक भविष्य खत्म तो नहीं हो जायेगा। जामताड़ा में जिस तरह से इरफान अंसारी के हाथों उन्हें हराया, उसने कईयों को हैरान किया है। चुनाव में शुरू से लेकर अंत तक यही लग रहा था कि सीता सोरेन यहां लीड करेगी, लेकिन चुनाव परिणाम जब 23 नवंबर को आया, तो सीता सोरेन को जामताड़ा से करारी हार झेलनी पड़ी।
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इधर हार के बाद सीता सोरेन ने एक भावुक पोस्ट किया है। जिसमें उनकी दो बेटियों की कांग्रेस कार्यकर्ता हूटिंग करते दिखाये दे रहे हैं। सीता सोरेन ने सोशल मीडिया हैंडल X पर पोस्ट करते हुए लिखा है कि जमीन पर जनता के लिए लड़ाई लड़ना आसान नहीं होता। इस चुनाव में, मैंने अपनी पूरी ताकत लगाई, लेकिन परिणाम हमारे पक्ष में नहीं आया। जब मैंने एक वीडियो देखा जिसमें मेरी बेटियां जयाश्री, राजश्री और विजयश्री सोरेन को कांग्रेस के कार्यकर्ताओं द्वारा अपमानित करते हुए देखा, तो मेरा दिल टूट गया।
यह वही जमताड़ा है, जहां मेरे पति ने अपना खून-पसीना बहाकर जनता की सेवा की थी। लेकिन आज, उनकी बेटियों को अपमानित होते देख, यह सवाल उठता है कि क्या यही वह सम्मान है जो जनता ने उनके त्याग और संघर्ष को दिया है? उन्होंने हर शब्द और हर अपमान का सामना शेरनियों की तरह किया, उन्होंने सिर ऊंचा करके अपनी मर्यादा बनाए रखी, मुझे गर्व है कि मेरी बेटियां दुर्गा सोरेन की तरह मजबूत और निडर हैं।
उन्होंने यह दिखा दिया कि यह हार हमारी हिम्मत को कमजोर नहीं कर सकती। यह हार एक सबक है, एक नई शुरुआत है। यह मत भूलना मैंने इन्हें शेरनियों की तरह पाला है। अकेले रहते हुए एक हाथ से राजनीति की बागडोर संभाली और दूसरे हाथ से अपनी बेटियों की परवरिश की है।
बस डर इस बात की है कि सुरक्षा होते हुए इन गीदड़ों में इतनी हिम्मत है तो बेसहारे गरीब महिलाओं बेटियां को क्या नहीं झेलना पड़ता होगा। कांग्रेस जहां भी है वहां महिलाएं असुरक्षित हैं। मासूम आदिवासी आपके छल और झूठ के जाल में फंसे हुए हैं, लेकिन वह दिन जरूर आएगा जब यही आदिवासी आपको इस संथाली धरती से उठा फेंकेंगे।