हजारीबाग से संवाददाता शिबू रजक : हज़ारीबाग़ की रहने वाली शिखा जैन ने आज अपने संघर्ष और जज़्बे की कहानी लिख दी। 7 साल की उम्र में एक बम ब्लास्ट में दिव्यांग होने के बावजूद उन्होंने कभी हार नहीं मानी। बचपन में ही पिता का साया सिर से उठ गया, लेकिन मां ने हिम्मत नहीं हारी। प्राइवेट स्कूल में पढ़ाकर उन्होंने शिखा को पढ़ाया-लिखाया।
आज उसी मेहनत और संघर्ष का नतीजा है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने हाथों शिखा को सरकारी शिक्षक के रूप में नियुक्ति पत्र सौंपा। शिखा की कहानी बताती है कि अगर मन में दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो कोई भी मंज़िल नामुमकिन नहीं। बम ब्लास्ट ने उन्हें पैरों से खड़ा नहीं होने दिया, लेकिन उन्होंने शिक्षा और हौसले के सहारे समाज में अपनी जगह बना ली।