लोकतंत्र सवेरा/जमशेदपुर : एशिया में कभी निर्यात और गुणवत्ता के लिए मशहूर यह केबल कंपनी 2000 से ही AAIIFR, BIFR, हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट, NCLT (कोलकाता) और NCLAT (दिल्ली) के चक्कर लगाती रही। अंततः 3 दिसंबर 2025 को न्यायालय ने कंपनी के अधिग्रहण का आदेश वेदान्ता लिमिटेड के पक्ष में दिया। यह फैसला कर्मचारियों और कामगारों के लिए अत्यंत निराशाजनक परिणाम लेकर आया है।
निराशाजनक समाधान और कर्मचारियों की पीड़ा…..
कर्मचारी यूनियन पदाधिकारियों— यू.के. शर्मा (महामंत्री), कल्याण साहू (कोषाध्यक्ष), और डॉ. बी.बी. महतो (अध्यक्ष) ने बताया कि NCLT-कॉलकाता के आदेश में कंपनी के 1,655 क्रेडिटर्स के कुल दावे 46,13,13,44,955 रुपये में से मजदूरों को सिर्फ 6% यानी 16,24,73,675 रुपये ही दिए जाएंगे।
यूनियन के आरोप…..
यूनियन का कहना है कि— असली कामगारों को तो नगण्य राशि मिल रही है, जबकि “कुछ फर्जी दावेदारों” को कई गुना अधिक भुगतान देने का आश्वासन दिया गया है। यूनियन ने इसे पूंजीपतियों और फर्जी दावेदारों की साज़िश बताते हुए कहा कि यह स्थिति कामगारों के आर्थिक लाभ की आशाओं को “अदृष्ट, अस्पष्ट और अंतहीन” बना रही है।
आवास और संपत्ति विवाद गहरा…..
कर्मचारियों की सबसे बड़ी चिंता उनके आवास को लेकर बनी हुई है। यूनियन ने साफ कहा है कि कंपनी द्वारा बनाए गए क्वार्टर या बंगले नहीं टूटेंगे। दूसरी ओर, पुटारा स्टील सबलीज का दावा करती आ रही है, जबकि कंपनी के पुराने मकानों पर वेदान्ता द्वारा दावा किए जाने से मजदूरों के भविष्य को लेकर गंभीर संकट खड़ा हो गया है।
वित्तीय अनियमितताओं पर बड़े सवाल….
कर्मचारी पदाधिकारियों ने कंपनी की समाधान प्रक्रिया और वित्तीय रिपोर्टिंग में गंभीर अनियमितताओं का आरोप लगाया है।
FBC ACT 2016 के अनुसार बिना ऑडिटेड बैलेंस शीट के देनदारियाँ (Liabilities) मान्य नहीं होतीं, लेकिन कंपनी की बैलेंस शीट वर्ष 2000 से अब तक ऑडिट नहीं हुई है।
31.03.2000 तक 4,53,66,069 रुपये के माल में से केवल 1,09,55,357 रुपये का ही हिसाब मिला। शेष 3,24,10,712 रुपये के माल का कोई रिकॉर्ड नहीं है।
31.12.2000 तक कंपनी पर 13,15,26,800.43 रुपये की बकाया Statutory Dues — PF, LIC, Gratuity आदि मिलाकर आज यह राशि 46 करोड़ रुपये से अधिक मानी जा रही है।
