रांची : झारखंड पुलिस के इतिहास में आज एक नया अध्याय जुड़ गया है। राज्य की पहली महिला आईपीएस अधिकारी तदाशा मिश्रा को झारखंड का नया प्रभारी पुलिस महानिदेशक (DGP) नियुक्त किया गया है। गृह, कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग ने इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है।

इस नियुक्ति के साथ ही झारखंड को अपनी पहली महिला डीजीपी मिली है। इससे पहले राज्य के पुलिस विभाग का नेतृत्व केवल पुरुष अधिकारियों के पास रहा है। तदाशा मिश्रा की नियुक्ति को राज्य में महिला सशक्तिकरण और प्रशासनिक सेवा में महिला नेतृत्व का मजबूत उदाहरण माना जा रहा है।
सूत्रों के अनुसार, वर्तमान डीजीपी के सेवानिवृत्त या अवकाश पर जाने के बाद यह फैसला लिया गया। तदाशा मिश्रा पहले भी पुलिस विभाग में कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभा चुकी हैं और अपने अनुशासित कार्यशैली तथा कड़े प्रशासनिक निर्णयों के लिए जानी जाती हैं।
राज्य सरकार ने उनकी नियुक्ति को लेकर कहा है कि “तदाशा मिश्रा का अनुभव, संवेदनशीलता और नेतृत्व क्षमता राज्य की कानून व्यवस्था को और मजबूत करेगी।”
राजनीतिक और सामाजिक हलकों में भी उनकी नियुक्ति का स्वागत किया जा रहा है। कई महिला संगठनों ने इसे “झारखंड की महिलाओं के लिए प्रेरणादायक क्षण” बताया है।
क्या हुआ है…….
अनुराग गुप्ता ने Jharkhand Police के डीजीपी पद से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) का आवेदन किया, जिसे राज्य सरकार ने स्वीकार कर लिया है।
इसके बाद, गृह, कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग (Jharkhand Home, Prisons & Disaster Management Department) ने तदाशा मिश्रा को प्रभारी डीजीपी (acting DGP) के रूप में नियुक्त करने की अधिसूचना जारी की है।
यह नियुक्ति 1994 बैच की अधिकारी तदाशा मिश्रा के लिए एक मील का पत्थर है क्योंकि वे झारखंड में इस पद पर आसीन पहली महिला आईपीएस अधिकारी बन गई हैं।
अधिसूचना देर शाम जारी की गई थी, और राज्य में इस बदलाव को पुलिस नेतृत्व एवं प्रशासनिक क्रम में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
तदाशा मिश्रा कौन हैं…..?
वे झारखंड कैडर की आईपीएस अधिकारी हैं, बैच 1994।
वर्तमान में वे गृह, कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग में विशेष सचिव के पद पर थीं।
पूर्व में उन्होंने अन्य महत्वपूर्ण पदों पर भी कार्य किया है, जैसे कि बोकारो में एसपी के रूप में काम किया है और वहाँ उनकी सख्त छवि रही है।
हालांकि उनका कार्यकाल बहुत लंबा नहीं होगा क्योंकि वे 31 दिसंबर 2025 को सेवानिवृत्त होने वाली हैं।
पृष्ठभूमि और कुछ चुनौतियाँ…….
वरिष्ठता के हिसाब से देखा जाए तो कुछ आईपीएस अधिकारी उनसे पहले थे (जैसे 1992-बैच के) लेकिन उन्हें अनदेखा कर यह नियुक्ति की गई है, जिसे लेकर कुछ चर्चा हो रही है।
इस निर्णय को राज्य की पुलिस नेतृत्व प्रणाली और महिला सशक्तिकरण के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
इस नियुक्ति का मतलब…..
यह झारखंड में महिला नेतृत्व को ऊँचा स्थान देने की दिशा में एक सकारात्मक संकेत है।
पुलिस विभाग के लिए नया नेतृत्व, नया दृष्टिकोण लाई सकता है, विशेष रूप से कानून-व्यवस्था, महिला सुरक्षा एवं सार्वजनिक भरोसे के क्षेत्र में।
हालांकि समय बहुत कम है, लेकिन उनका कार्यकाल समसामयिक चुनौतियों (नक्सल-सामाजिक अपराध आदि) से निपटने में नवप्रेरणा ला सकता है।



