रांची : झारखंड में ड्रग्स का अवैध कारोबार तेजी से बढ़ रहा है. नशा तस्करी की वजह से युवाओं का भविष्य बर्बाद हो रहा है, जबकि माफिया इस कारोबार से कमाए गए पैसों से आलीशान घर बना रहे हैं. ड्रग्स तस्करी में महिलाएं भी पीछे नहीं हैं. हाल ही में पुलिस ने इस कारोबार में शामिल एक महत्वपूर्ण कड़ी, ‘भाभी जी’ उर्फ रूबी देवी को अपने शिकंजे में लिया. पूछताछ में रूबी देवी ने कई बड़े ड्रग माफियाओं के नाम और उनके नेटवर्क का खुलासा किया, जिससे पुलिस की कार्रवाई तेज हो गई है. साथ ही युवाओं को इस चंगुल से बाहर निकालने के लिए जागरूकता अभियान चला रही है और अभिभावकों की भी मदद कर रही है.
भाभी जी ने पुलिस को दिए कई राज
रांची के ब्राउन शुगर सप्लाई मामले में पकड़ी गई भाभी जी ने पुलिस को बताया कि वह रांची के ड्रग माफियाओं को ड्रग्स सप्लाई करती थी. पूछताछ में पता चला कि रूबी देवी का पूरा परिवार इस अवैध कारोबार में शामिल है और नशा कारोबार से कमाई गई रकम से वे सासाराम में आलीशान बिल्डिंग बना रही है. कोतवाली डीएसपी प्रकाश सोय के अनुसार, रूबी देवी ने कोर्ट में सरेंडर किया था, जिसके बाद उसे रिमांड पर लेकर पुलिस ने पूछताछ शुरू की. उसके बयान से कई माफियाओं के नाम भी सामने आए हैं.
झारखंड में तेजी से फैलते ड्रग्स कारोबार और इसके जद्द में युवाओं के आने के मामले के बाद पुलिस हरकत में आई. एक तरफ जहां पुलिस ड्रग्स माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई में जु़टी है. वहीं दूसरी तरफ लोगों खासकर युवाओं को इसके प्रति जागरूक करने के लिए व्यापक स्तर पर जन जागरूकता अभियान की भी शुरुआत की है.
नशा तस्करों के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई
इस अभियान के तहत पुलिस अधिकारी शहर के चौक-चौराहों से लेकर स्कूल-कॉलेजों तक पहुंच रहे हैं. वे बच्चों को बता रहे हैं कि नशे से कैसे दूर रहें और नशा किस तरह से उनकी जिंदगी बर्बाद कर देता है. इस जागरूकता अभियान के बीच पुलिस ने नशा तस्करों के खिलाफ भी बड़ी कार्रवाई शुरू की है. राजधानी रांची सहित चतरा, हजारीबाग, पलामू और लोहरदगा समेत सभी जिलों में नशा तस्करों के खिलाफ जंग छेड़ दी गई है.
पलामू में नशे के सौदागरों के खिलाफ कार्रवाई
पलामू में युवा पीढ़ी सबसे ज्यादा नशे की लत का शिकार हो रही है. पुलिस युवाओं को टारगेट कर उन्हें जागरूक करने के लिए अभियान चला रही है. इससे पहले पलामू पुलिस की कार्रवाई में कई बड़े खुलासे हो चुके हैं. पलामू के प्रमंडलीय मुख्यालय मेदिनीनगर और चैनपुर के इलाके में पुलिस की कार्रवाई में एक साल के दौरान करीब आधा दर्जन नशे के सौदागर पकड़े जा चुके हैं. इस कार्रवाई में नशे के सौदागरों ने पुलिस को बताया है कि 14 से 25 साल के युवा सबसे ज्यादा नशीले पदार्थ खरीद रहे हैं. स्कूल और कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र नशीले पदार्थ खरीद रहे हैं.
पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक, जनवरी 2024 से 2025 के बीच पलामू में 30 से अधिक नशा तस्करों को गिरफ्तार किया गया है. जबकि लाखों की शराब, अफीम, गांजा, हेरोइन, नकली दवा और कई अन्य नशीले पदार्थ बरामद किए गए हैं. पुलिस की कार्रवाई में पता चला है कि गांजा, हेरोइन, अफीम का नेटवर्क कई राज्यों में फैला हुआ है. गांजा का नेटवर्क ओडिशा से जुड़ा है जबकि हेरोइन का नेटवर्क बिहार के सासाराम और यूपी के वाराणसी से जुड़ा है.
चतरा, रांची और हजारीबाग में पुलिस की कार्रवाई
11 और 12 जून को चतरा एसपी सुमित अग्रवाल ने चतरा में बेहद संगठित तरीके से चलाए जा रहे नशा तस्करों पर हमला किया था. चतरा के पत्थलगड्डा थाना क्षेत्र में छापेमारी कर 3.821 किलोग्राम अवैध ब्राउन शुगर, 2.784 किलोग्राम अवैध अफीम, 1.019 किलोग्राम सफेद पाउडर और नकद रुपए बरामद किए गए हैं. बरामद ड्रग्स की अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत 10 करोड़ रुपए से अधिक है. इस कार्रवाई में एक महिला समेत चार ड्रग तस्करों को भी गिरफ्तार किया गया है.
पिछले 15 दिनों के अंदर हजारीबाग, रांची और लोहरदगा में भी ड्रग्स के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की गई है. हजारीबाग एसपी अंजनी के नेतृत्व में ड्रग कार्टेल के एक बड़े नेटवर्क का पर्दाफाश हुआ है, जिसमें लाखों की ड्रग्स बरामद की गई है. लोहरदगा एसपी सादिक अली रिजवी ने शनिवार को करोड़ों का डोडा जब्त किया है. पिछले सप्ताह रांची में भी करोड़ों का डोडा बरामद किया गया है. आधा दर्जन ड्रग तस्करों को जेल भी भेजा गया है.
वहीं 25 जून को रांची के अरगोड़ा के अशोक कुंज स्थित कश्यप बिहार में किराये के मकान में रहने वाले दिनेश कुमार राम और शिवम कुमार को हिरासत में लिया गया. जब उनके कमरे की तलाशी ली गई तो वहां से 400 पैकेट ब्राउन शुगर बरामद किया गया. जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. दिनेश और शिवम ने अपने तीन अन्य साथियों के नाम भी बताए हैं, जिनकी गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है.
“आज के समय में एक बहुत बड़ी सामाजिक समस्या यह है कि छोटे-छोटे बच्चे भी नशा कर रहे हैं. पूरे पलामू प्रमंडल में नशाखोरी के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है. इसी कड़ी में बड़े पैमाने पर अफीम की खेती को नष्ट किया गया है और तस्करों के खिलाफ कार्रवाई की गई है. पुलिस पूरे प्रमंडल में लोगों को नशाखोरी के खिलाफ जागरूक कर रही है. इस समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए अभियान चलाया जा रहा है.” -सुनील भास्कर, आईजी पलामू
“नशाखोरी के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है और लोगों को जागरूक किया जा रहा है. जागरूकता अभियान में शिक्षा विभाग भी काफी सहयोग दे रहा है और स्कूली बच्चे भी इसमें शामिल हो रहे हैं. पुलिस उन लोगों की मदद करेगी जो नशा छोड़ना चाहते हैं, पुलिस काउंसलिंग भी करेगी.” – रीष्मा रमेशन, एसपी पलामू.
नशे की लत में फंसे बच्चों को बचाने के लिए पुलिस की पहल
एक तरफ जहां पुलिस नशा तस्करों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है, वहीं अब नशे की लत में फंस चुके बच्चों को भी इस दलदल से निकालने के लिए पुलिस पहल करेगी. रांची में डीआईजी सह एसएसपी चंदन कुमार सिन्हा ने इस संबंध में पहल शुरू की है.
गार्जियन मुखर हों, ड्रग्स से दूर रहेंगे बच्चे
अगर आपके बच्चे गलत संगत में पढ़कर नशे के आदी हो गए हैं, तो यह आपके लिए सुनहरा मौका है, बच्चों को नशे के जाल से निकालने के लिए रांची पुलिस हर कदम पर आपकी मदद करेगी. इसके लिए बच्चों के अभिभावकों को मुखर होना होगा. डीआईजी सह एसएसपी रांची चंदन कुमार सिन्हा ने युवा पीढ़ी को नशे के दलदल से निकालने के लिए बड़ा प्रयास शुरू किया है.
डीआईजी सह एसएसपी रांची चंदन कुमार सिन्हा ने कहा कि अगर अभिभावक नशे के खिलाफ मुखर हो जाएं, तो यह समस्या अपने आप खत्म हो जाएगी. इसके लिए पुलिस हर कदम पर साथ देगी.
फोन कर मांगें मदद
एसएसपी ने कहा कि नशा छुड़ाने का प्रयास घर से ही शुरू करना होगा. अगर कोई अभिभावक यह जानना चाहता है कि नशे की लत से छुटकारा पाने के लिए क्या करना चाहिए, तो वे सीधे अपने नजदीकी पुलिस स्टेशन या फिर उन्हें फोन करके मदद मांग सकते हैं. फोन आने पर पुलिस नशे के आदी बच्चों की काउंसलिंग और इलाज में मदद के लिए तैयार है.
एक सप्ताह का समय भी काफी अहम
दरअसल, बच्चे हों या युवा, अगर वे नशे की लत के शिकार हैं, तो उनके लिए एक सप्ताह का समय भी बहुत महत्वपूर्ण है. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर किसी को एक सप्ताह तक नशे से दूर रखा जाए, तो उसकी नशे की लत खत्म हो सकती है. इसके लिए परिजनों को मुखर होना होगा.
मनोचिकित्सक के पास क्यों नहीं जाना चाहते गार्जियन?
डीआईजी सह एसएसपी रांची चंदन कुमार सिन्हा ने कहा कि सबसे बड़ी समस्या यह है कि जिनके बच्चे नशे के आदी हैं, वे यह मानने को तैयार नहीं हैं कि उनका बच्चा नशे का आदी है. यह बहुत खतरनाक है. आज लोग सोचते हैं कि सिर्फ पागल लोग ही मनोचिकित्सक के पास जाते हैं, लेकिन सभी को यह समझना होगा कि छोटी-छोटी समस्याओं के लिए भी मनोचिकित्सक के पास जाना चाहिए, इससे कई समस्याएं हल हो जाती हैं.
एक दिन में 2500 रुपये के ड्रग्स की जरूरत
रांची के कांके स्थित रिनपास के वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. सिद्धार्थ सिन्हा कहते हैं कि हाल के दिनों में सूखे नशे का प्रचलन काफी बढ़ गया है. रांची जैसे शहरों में 5 साल पहले तक गांजा का प्रचलन था. लेकिन अब ब्राउन शुगर, ब्लैक स्टोन, कोकीन जैसे ड्रग्स आसानी से बाजार में उपलब्ध हैं. डॉ. सिद्धार्थ सिन्हा के मुताबिक अगर कोई युवक या युवती सूखे नशे (ब्राउन शुगर) का आदी है तो उसे अपने शरीर में ड्रग्स की जरूरत को पूरा करने के लिए हर दिन 2500 रुपये के ब्राउन शुगर की जरूरत होती है. अगर उसे इतना ड्रग्स नहीं मिले तो वह पागल जैसा हो जाएगा.
ड्रग्स की जरूरत बना रहा है ड्रग पेडलर्स
डॉ. सिद्धार्थ सिन्हा के मुताबिक रिनपास में नशा मुक्ति के लिए आने वाले ज्यादातर लोग युवा हैं. उनके पास इलाज के लिए आने वाले सभी युवा ड्रग्स की भारी खुराक लेने के आदी हैं. सिद्धार्थ सिन्हा के अनुसार आप समझ सकते हैं कि जब कोई मध्यम वर्ग या उच्च वर्ग का युवा नशे की लत में फंस जाता है, तो वह किसी भी कीमत पर नशा करना चाहता है. लेकिन शायद ही कोई ऐसा परिवार हो, जिसका लड़का या लड़की हर दिन ढाई हजार रुपये नशे पर खर्च कर सके. यही वजह है कि संपन्न परिवारों के बच्चे नशे की लत को पूरा करने के लिए नशे के सौदागर बन जाते हैं.
इलाज कराने वालों में 30 फीसदी ब्राउन शुगर के एडिक्ट
वैसे तो रांची के दो मुख्य मनोरोग अस्पताल रिनपास और सीआईपी कांके में हैं. दोनों ही अस्पताल हर तरह के नशे की लत में फंसे लोगों को नशे से मुक्त कराने का काम करते हैं. लेकिन आंकड़े बताते हैं कि इलाज के लिए आने वाले 30 फीसदी लोग ब्राउन शुगर के आदी होते हैं. डॉ. सिद्धार्थ सिन्हा के अनुसार ब्राउन शुगर किसी को भी बहुत जल्दी अपनी लत में डाल देती है. ब्राउन शुगर की एक या दो खुराक लेने के बाद व्यक्ति को इसकी लत लग जाती है. लत लगने के बाद वह किसी भी तरह ब्राउन शुगर हासिल करना चाहता है. ऐसे में पुलिस का यह प्रयास काफी सराहनीय है.
