बारीयातू / कुतुबुदीन : रमजान के पाक महीने के आखिरी जुमे, यानी अलविदा की नमाज के दौरान, मुस्लिम समुदाय के लोगों ने वक्फ संशोधन बिल 2024 के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध जताया। इस अवसर पर प्रखंड मुख्यालय सहित इटके, साल्वे, शिबला, फुलसू, नावाडीह, बठेट, रत्नादाग समेत कई गांवों की मस्जिदों में नमाजियों ने अपने बाजुओं पर काली पट्टी बांधकर इस बिल के प्रति अपनी असहमति प्रकट की।
नमाज के दौरान मस्जिदों में उमड़ी भीड़ का नजारा बेहद खास था। हर किसी के बाजू पर बंधी काली पट्टी एक संदेश दे रही थी।एकजुटता और विरोध का। हालाँकि, यह विरोध प्रदर्शन पूरी तरह शांतिपूर्ण रहा। किसी भी तरह की नारेबाजी या असामाजिक गतिविधि नहीं हुई। नमाज खत्म होते ही लोग खामोशी से अपने घरों को लौट गए, मगर उनका संदेश साफ था कि इस बिल को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं।
जामा मस्जिद के इमाम मौलाना शहजाद ने बताया कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और इमारत-ए-शरिया के निर्देशानुसार यह विरोध प्रदर्शन किया गया। उन्होंने कहा यह बिल एक गहरी साजिश है। इसके जरिए सरकार हमारी मस्जिदों, ईदगाहों, मदरसों, दरगाहों, खानकाहों और कब्रिस्तानों को हमसे छीनना चाहती है। हम अपने धार्मिक और खैराती संस्थानों पर कोई आंच नहीं आने देंगे। विरोध प्रदर्शन में शामिल नमाजियों का कहना था कि वे किसी भी तरह की अशांति या टकराव नहीं चाहते। उन्होंने शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीके से अपनी बात सरकार तक पहुँचाने का निर्णय लिया है।
आगे कहा कि हमारा विरोध उग्र नहीं, बल्कि शांति और एकता का प्रतीक है। हम चाहते हैं कि हमारी आवाज सुनी जाए और सरकार इस बिल पर पुनर्विचार करे।अलविदा की नमाज के बाद लोग अपनी-अपनी राह चले गए।