लोकतंत्र सवेरा : पेड़ आपस में बात कर रहे हैं। हमारे पास क्या नहीं है। प्रकृति की नेमते – सौग़ाते महफूज़ रहें तो देश-दुनियां की उन्नति, प्रगति, समृद्धि , तन्दुरूस्ती और विकास की राह को कोई नहीं रोक सकता। जंगलों के दामन में सबकुछ है। बस इसे महफूज़ रखने की जरूरत है। सिर्फ शेर ही नहीं जंगलों का राजा होता। जंगल की गोद में पलने वाली आदिवासी महिलाएं भी शेरनियों जैसे हौसले रखती हैं। जो जंगल पर ही नहीं दुनियां के सबसे बड़े लोकतंत्र पर राज्य कर सकती हैं।
एक बूढ़ा वृक्ष बोला- आज का दिन बहुत मुबारक है। आशा करता हूं अब जंगल नहीं कटेंगे। जंगल की हरियाली, जीव-जंतु सलामत रहेगें। इसी में ही मानव जाति का और देश-दुनिया का भी भला है। बूढ़ा वृक्ष आगे बोला- द्रोपदी से ज्यादा चीरहरण का दर्द कौन जानेगा। जंगलों का चीरहरण रोकने के लिए हमारी द्रोपदी को कुछ करना होगा !