रांची। रामगढ़ में CGL के मृत कर्मियों के आश्रितों को PF फंड का रुपया लौटाने के लिए फर्जी तरीके से 44 खाता खुलवाकर गलत तरीके से करोड़ों रुपयों की निकासी के मामले की जांच अब सीबीआइ करेगी। सीबीआइ की रांची स्थित भ्रष्टाचार निरोधक शाखा ने इस मामले में 30 जून को छह नामजद व अन्य अज्ञात के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की है। रामगढ़ थाना में 24 अगस्त 2021 को कांड संख्या 250/2021 में दर्ज इससे संबंधित केस को ही टेकओवर करते हुए सीबीआइ ने यह प्राथमिकी दर्ज की है।
केस में शामिल हैं ये लोग
इसके लिए गत 18 अप्रैल को रामगढ़ के एसपी ने सीबीआइ के एसपी से पत्राचार कर उक्त केस को लेने का आग्रह किया था। इस केस में जो आरोपित बनाए गए हैं, उनमें रामगढ़ के कारपोरेशन बैंक के तत्कालीन शाखा प्रबंधक संजय कुमार सिंह शामिल हैं।
इनके अलावा, केस में त्रिपुरारी कुमार, त्रिपुरारी कुमार की पत्नी नूतन देवी, विनोद कुमार, अजय प्रसाद, अजय प्रसाद की पत्नी सुषमा देवी व अन्य लोग शामिल हैं। सीबीआइ ने इस कांड की जांच के लिए अपने एएसपी सुधांशु शेखर को अनुसंधान पदाधिकारी बनाया है।
देवघर के सत्संग नगर महावीर कालोनी निवासी पीयूष कुमार श्रीवास्तव ने रामगढ़ थाने में 24 अगस्त 2021 को प्राथमिकी दर्ज कराई थी। तब वे रामगढ़ के पंचवटी अपार्टमेंट में रहते थे। रामगढ़ पुलिस ने जांच में पाया था कि कारपोरेशन बैंक में फर्जी तरीके से खोले गए 44 बैंक खातों के माध्यम से बैंक प्रबंधक व अन्य ने बिचौलियों व सीसीएल के अधिकारियों की साठगांठ से प्रोविडेंट फंड के करोड़ों रुपयों का गबन किया गया।
वर्ष 2019 में भी सीबीआइ ने दर्ज की थी प्राथमिकी
वर्ष 2019 में भी सीबीआइ ने पीएफ मद के करोड़ों रुपयों की हेराफेरी मामले में प्राथमिकी दर्ज कर जांच के बाद चार्जशीट दाखिल की थी। सीबीआइ ने 30 सितंबर 2019 को उक्त कांड रामगढ़ के अरगड्डा रोलर चौक निवासी विनोद कुमार के विरुद्ध चार्जशीट दर्ज की थी।
इसके अलावा, सीसीएल के अरगड्डा कालोनी के क्वार्टर नंबर एमक्यूएस-7 निवासी त्रिपुरारी कुमार व उनकी नूतन देवी व रामगढ़ के कारपोरेशन बैंक के तत्कालीन शाखा प्रबंधक संजय सिंह के विरुद्ध दर्ज की थी।
संजय सिंह रांची के हटिया स्थित सिंहमोड़ प्रेम नगर का निवासी है। सर्वोच्च न्यायालय में त्रिपुरारी कुमार बनाम झारखंड राज्य व अन्य में दाखिल एसएलपी में यह स्पष्ट हो गया है कि फर्जी तरीके से खोले गए 38 बैंक खाते वर्तमान प्राथमिकी से संबद्ध हैं। अन्य छह बैंक खातों के बारे में अनुसंधान जारी है। दोनों मामले प्रासंगिक होने के चलते ही उक्त केस भी सीबीआइ को दिया गया है, जिसके बाद सीबीआइ ने प्राथमिकी दर्ज कर ली है।
