जमशेदपुर : डिमना के गोकुलनगर में 350 से अधिक परिवार इन दिनों भय और आक्रोश के साए में जी रहे हैं। हाल ही में वन विभाग द्वारा एक घर को तोड़ा गया, और कई अन्य घरों को तोड़ने के लिए बिना किसी पूर्व सूचना या संवाद के नोटिस भेजे गए हैं। इस अचानक हुई कार्रवाई से पूरा इलाका दहशत में है। लोग अपनी आजीविका छोड़कर सरकारी दफ्तरों और जनप्रतिनिधियों के चक्कर लगाने को मजबूर हो गए हैं।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि वे और उनके पूर्वज पिछले लगभग 40 वर्षों से इस क्षेत्र में रह रहे हैं। अधिकांश लोग दिहाड़ी मजदूर, ठेला चालक, घरेलू सहायिका, सफाईकर्मी तथा छोटी दुकानें चलाकर जीवन यापन करते हैं। उन्होंने वर्षों की मेहनत, छोटी-छोटी बचत और जीवनभर की कमाई से अपने घर बनाए हैं। अब यदि ये घर तोड़े जाते हैं, तो वे बेघर हो जाएंगे और उनके पास फिर से घर बनाने की न तो आर्थिक क्षमता है और न ही कोई विकल्प। इसके अलावा उनके बच्चे भी शिक्षा से वंचित हो जाएंगे।
निवासियों का आरोप है कि प्रशासन ने इस पूरे मामले में न तो पूर्व सूचना दी और न ही पुनर्वास से संबंधित कोई ठोस योजना सामने रखी। यह निर्णय न केवल अमानवीय है, बल्कि संविधान में दिए गए नागरिक अधिकारों का भी उल्लंघन करता है।
निवासियों की तीन प्रमुख माँगें:
- वन विभाग द्वारा जारी किए गए नोटिसों की निष्पक्ष और स्वतंत्र समीक्षा की जाए तथा तत्काल सभी तोड़फोड़ की कार्यवाही पर रोक लगाई जाए।
- जिन परिवारों को विस्थापित किया जाना है, उन्हें पहले से ही सुरक्षित, सम्मानजनक और कानूनी रूप से संरक्षित पुनर्वास प्रदान किया जाए।
- प्रशासन, जनप्रतिनिधियों और नागरिक प्रतिनिधियों के साथ एक संयुक्त बैठक आयोजित की जाए, जिसमें पारदर्शिता के साथ सभी पक्षों को सुना जाए और समाधान निकाला जाए।
महिलाओं ने संभाला नेतृत्व, संघर्ष की नई मिसाल बनीं…..
इस विरोध प्रदर्शन की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि अब गोकुल नगर की महिलाएँ अग्रिम पंक्ति में खड़ी हो चुकी हैं। उनका कहना है, “यदि हम घर चला सकती हैं, तो अपने घर बचाने के लिए शासन और प्रशासन से लड़ने के लिए भी तैयार हैं।” महिलाएँ शांति, आत्मबल और साहस के साथ यह स्पष्ट संदेश दे रही हैं कि उनके अधिकारों की अनदेखी नहीं की जा सकती।
स्थानीय लोगों ने यह भी स्पष्ट किया कि जब तक उन्हें वैकल्पिक आवास की गारंटी नहीं दी जाती, तब तक किसी भी घर को तोड़ा जाना अन्यायपूर्ण और अस्वीकार्य होगा। अगर प्रशासन इस विषय पर ठोस और संवेदनशील कार्रवाई नहीं करता, तो गोकुल नगरवासी शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन, धरना और सड़क जाम जैसे लोकतांत्रिक उपायों के लिए बाध्य होंगे। वे उपायुक्त, पूर्वी सिंहभूम से अपील करते हैं कि इस संवेदनशील मुद्दे पर अविलंब हस्तक्षेप करें और गोकुल नगर के नागरिकों के जीवन, सम्मान और अधिकारों की रक्षा करें।
